Daily 10 verses Shrimad Bhagavad Gita reading Day 1 || I Seek I Study

Daily 10 verses Shrimad Bhagavad Gita reading Day 1

श्रीमद्भगवद्गीता स्वाध्याय
दिवस १

श्रीकृष्ण परमात्मने नमः

श्रीकृष्ण प्रीति , भगवत् प्रेम एवं कृपा प्राप्ति तथा जगत कल्याणके उद्देश्य से , मैं (अपना गोत्र और नाम), आज गीता जी के १० श्लोकों का पाठ कर रहा हूं ।

ध्यानम् :-
पार्थाय प्रतिबोधितां भगवता नारायणेन स्वयं
व्यासेन ग्रथितां पुराणमुनिना मध्ये महाभारतं |
अद्वैतामृतवर्षिणीं भगवतीमष्टादशाध्यायिनीं
अम्ब त्वामनुसन्दधामि भगवद्गीते भवद्वेषिणीं ||
गीते ज्ञानमयि त्वमेव कृपया मद्बोधगम्या भव ।
वाणी नृत्यतु मे तथैव सरसा जिह्वाग्रभागे सदा ।।
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥

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श्रीमद्भगवद्गीता
प्रथमोऽध्यायः

धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।

सञ्जय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।।
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।1.3।।
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।1.4।।
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः।।1.5।।
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।।1.6।।
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।1.7।।
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च।।1.8।।
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः।।1.9।।
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्।।1.10।।

अर्थ:-
धृतराष्ट्र ने कहा — हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्र हुए युद्ध के इच्छुक मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?
संजय ने कहा — पाण्डव-सैन्य की व्यूह रचना देखकर राजा दुर्योधन ने आचार्य द्रोण के पास जाकर ये वचन कहे।
हे आचार्य ! आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपदपुत्र (धृष्टद्द्युम्न) द्वारा व्यूहाकार खड़ी की गयी पाण्डु पुत्रों की इस महती सेना को देखिये।
इस सेना में महान् धनुर्धारी शूर योद्धा है , जो युद्ध में भीम और अर्जुन के समान हैं , जैसे — युयुधान, विराट तथा महारथी राजा द्रुपद।
धृष्टकेतु, चेकितान, बलवान काशिराज, पुरुजित्, कुन्तिभोज और मनुष्यों में श्रेष्ठ शैब्य।
पराक्रमी युधामन्यु, बलवान् उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र (अभिमन्यु) और द्रोपदी के पुत्र — ये सब महारथी हैं।
हे द्विजोत्तम ! हमारे पक्ष में भी जो विशिष्ट योद्धागण हैं , उनको आप जान लीजिये; आपकी जानकारी के लिये अपनी सेना के नायकों के नाम मैं आपको बताता हूँ।
एक तो स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, और युद्ध विजयी कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र है।
मेरे लिए प्राण त्याग करने के लिए तैयार, अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित तथा युद्ध में कुशल और भी अनेक शूर वीर हैं।
भीष्म के द्वारा हमारी रक्षित सेना अपर्याप्त है; किन्तु भीम द्वारा रक्षित उनकी सेना पर्याप्त है अथवा, भीष्म के द्वारा रक्षित हमारी सेना अपरिमित है किन्तु भीम के द्वारा रक्षित उनकी सेना परिमित ही है।

यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशंमया ।
पुत्रोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर ॥

श्रीकृष्ण अर्पणं अस्तु

7 thoughts on “Daily 10 verses Shrimad Bhagavad Gita reading Day 1 || I Seek I Study”

  1. सभी साधकों के कल्याण तथा क्रियापथ के पूज्य गुरुओं की इच्छा के अनुरूप हम सभी गीताजी का नियमित स्वाध्याय कर सकेंगे।
    10 श्लोक प्रतिदिन अत्यंत सहज होगा। इस प्रकार लगभग 70 दिनों में १ चक्र पूर्ण होगा।
    आपके इस वृहत प्रयास और लोक कल्याण की पवित्र भावना को शत् शत् नमन।

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  2. जय श्रीकृष्ण। आपको इस गीतायज्ञ हेतु अनेकशः साधुवाद🙏

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  3. प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव।
    भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश सम्यक् स तं पुरुषमुपैति दिव्यम् ।।

    शरीर त्याग के समय यदि व्यक्ति अनन्य भक्ति से युक्त हो भ्रू-मध्य में अपना अवधान टिका सके तो यह मृत्यु योगबल से शरीर त्याग की श्रेणी में कही जा सकती है.

    लेकिन ऐसा कर पाना साधारणतया सब के लिये संभव नहीं है. एक योगी ही ऐसा कर सकता है.

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