शुक्रकृत अष्टमूर्ति स्तव || ShukraKruta Ashta Moorti Stava
ShukraKruta Ashta Moorti Stava शुक्रकृत अष्टमूर्ति स्तव त्वं भाभिराभिरभिभूय तमः समस्त-मस्तं नयस्यभिमतानि निशाचराणाम्।देदीप्यसे दिवमणे गगने हितायलोकत्रयस्य जगदीश्वर तन्नमस्ते ॥ हे जगदीश्वर ! आप अपने तेजसे समस्त अन्धकारको दूरकर रातमें विचरण करनेवाले राक्षसोंके मनोरथोंको नष्ट कर देते हैं । हे दिनमणे ! आप त्रिलोकीका हित करनेके लिये आकाशमें सूर्यरूपसे प्रकाशित हो रहे हैं , आपको नमस्कार …