योगबल से शरीर त्याग कैसे हो ? How to leave body by Yoga

योगबल से कैसे शरीर त्यागना है उसको गीता में भगवान बताते हैं । प्रयाणकाले मनसाऽचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव। भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम्।।8.10।। अर्थात् :- प्रयाण के समय मनके द्वारा अचल भाव से भक्तिसे युक्त योगबल के द्वारा , भौहों के मध्यमें सम्यक रूपसे प्राण को आविष्ट करके उस परम दिव्य …

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सोऽहं हंसः (शिव महापुराण से) Soham Hamsah

हे वामदेव ! अब मैं आपके स्नेहवश ‘ हंस ‘ इस पदमें स्थित इसके प्रतिलोमात्मक प्रणव मन्त्रका उद्भव कहता हूँ , आप सावधानीपूर्वक सुनें | हंस – इस मन्त्रका प्रतिलोम करनेपर ‘ सोऽहम् ‘ ( पद सिद्ध होता है । ) इसके सकार एवं हकार – इन दो वर्णोंका लोप कर देनेपर स्थूल ओंकारमात्र शेष …

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खेचरी मुद्रा

मुद्रैषा खेचरी प्रोक्ता भक्तानां अनुरोधतः । सिद्धिनां जननी ह्येषा मम प्राणाधिके प्रिये । निरन्तर कृताभ्यासम् पीयूषम् प्रत्यहं पीवेत् । तेन निग्रहम् सिद्धिस्यात् मृत्यु मातंग केशरी ।। अर्थात् – (शिव जी ने देवी से कहा) हे प्रिये ! भक्तों के अनुरोध के कारण ही मैंने अपने प्राणों से प्रिय इस खेचरी मुद्रा को प्रकाशित किया जो …

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श्रीगणेशगीता में योग

वरेण्य उवाच किं सुखं त्रिषु लोकेषु देवगन्धर्वयोनिषु । भगवन् कृपया तन्मे वद विद्या विशारद ।।२०।। अर्थ:- वरेण्य बोले – भगवन् ! तीनों लोकों तथा देवता और गंधर्व आदि योनियों में यथार्थ सुख क्या है ? हे विद्याविशारद ! कृपाकर आप यह मुझसे वर्णन कीजिये ।। श्रीगजानन उवाच आनन्दमश्नुतेऽसक्तः स्वात्मारामो निजात्मनि । अविनाशि सुखं तद्धि न …

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शिव संहिता में महामुद्रा

शिव संहिता में महामुद्रा महामुद्रां प्रवक्ष्यामि तन्त्रेऽस्मिन्मम वल्लभे । यां प्राप्य सिद्धाः सिद्धि च कपिलाद्याः पुरागताः ।। 26 ।। (शिवजी ने कहा) – हे प्रिये ! में इस तन्त्र में महामुद्रा की बात कहूंगा , जिसे प्राप्त करके कपिल आदि प्राचीन सिद्ध ऋषियों ने सिद्धि प्राप्त की थी । अपसव्येन संपीड्य पादमुलेन सादरम् । गुरुपदेशतो …

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योगबल से शरीर त्याग कैसे हो ? How to leave body by Yoga

How to leave body by Yoga योगबल से कैसे शरीर त्यागना है उसको गीता में भगवान बताते हैं । प्रयाणकाले मनसाऽचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव। भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम्।।8.10।। अर्थात् :- प्रयाण के समय मनके द्वारा अचल भाव से भक्तिसे युक्त योगबल के द्वारा , भौहों के मध्यमें सम्यक रूपसे प्राण …

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