Suvarna Prashan || Best Ancient Ayurvedic Immunization Method
■ सुवर्णप्राशन क्या है ?
सुवर्णप्राशनं ह्येतत् मेधाग्निबलवर्धनम् ।
आयुष्यं मङ्गलं पुण्यं वृष्यं वर्ण्यं ग्रहापहम् ।।
मासात् परममेधावी व्याधिभिर्नच धृष्यते ।
षड्भिर्भासैः श्रुतधरः सुवर्णप्राशनाद् भवेत् ।।
(काश्यप संहिता, सूत्र स्थान)
Suvarna Prashan || Ancient Ayurvedic Immunization
यह सुवर्ण प्राशन शिशुओं में मेधा, अग्नि तथा वल की वृद्धि करता है । यह आयुप्रदानकारी, मंगलकारी, पवित्र, धातुओं को पुष्ट करने वाला , शरीर की कान्ति बढ़ाने वाला तथा ग्रहवाधा नाश करने वाला है । इसके नित्य प्रतिदिन सेवन से शिशु परममेधावी होता है। छः माह तक प्रतिदिन खाने से श्रुतधर (सुन कर शास्त्रों को स्मृति में रखने वाला ) बनता है ।
■ सुवर्ण प्राशन के लाभ क्या हैं ?
आयुर्वेद के प्राचीन आचार्यों द्वारा वर्णित यह एक अद्भुत औषधीय योग है जो शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करता है । यह शिशुओं के बोधशक्ति तथा मेधाशक्ति को बढ़ाता है एवं रसरक्तादि समस्त धातुओं की अभिवृद्धि में सहायक है । शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकाशमें हो रहे विलम्ब को यह दूर करता है । सर्दी, जुकाम आदि जलवायु परिवर्तन जनित रोगोंसे रक्षा करता है । शिशुओं के पाचन संस्था को सुदृढ़ करता है ; आयु, बल एवं कान्ति वृद्धि करता है तथा सर्वविध मङ्गलसाधन करता है ।।
■ किसके लिये उपयोगी ?
जन्मसे १६वर्ष की आयु तक के किसी भी बालक एवं बालिका को दिया जा सकता है ।
Suvarna Prashan || Ancient Ayurvedic Immunization
■ कब दिया जाता है?
प्रतिमाह पुष्य नक्षत्रयुक्त तिथि में दिया जाता है । पुष्य नक्षत्र तिथि में इस औषधीय योग को देना प्रारम्भ करके भेषज विशेषज्ञ के उपदेश अनुसार नित्य प्रतिदिन इसका सेवन किया जा सकता है । लंबे समय तक इसका सेवन करने से , इसका प्रभाव स्थायी रहता है । इसका कोई पार्श्व प्रतिक्रिया ( Side Effect ) नहीं है ।
◾ पुष्य नक्षत्र में क्यों दिया जाता है ??
पुष्य नक्षत्र इसके उपस्थिति में किए गए क्रियाओं को पोषित करती है । अतः इस नक्षत्र युक्त तिथि में प्रयोग किए औषधीय योग अधिक प्रभावी एवं इसका प्रभाव लंबे समय तक रहने वाली होती है ।
Suvarna Prashan || Ancient Ayurvedic Immunization Compiled by I Seek I Study