श्रीगणेशगीता में योग
वरेण्य उवाच किं सुखं त्रिषु लोकेषु देवगन्धर्वयोनिषु । भगवन् कृपया तन्मे वद विद्या विशारद ।।२०।। अर्थ:- वरेण्य बोले – भगवन् ! तीनों लोकों तथा देवता और गंधर्व आदि योनियों में यथार्थ सुख क्या है ? हे विद्याविशारद ! कृपाकर आप यह मुझसे वर्णन कीजिये ।। श्रीगजानन उवाच आनन्दमश्नुतेऽसक्तः स्वात्मारामो निजात्मनि । अविनाशि सुखं तद्धि न …