सोऽहं हंसः (शिव महापुराण से) Soham Hamsah

हे वामदेव ! अब मैं आपके स्नेहवश ‘ हंस ‘ इस पदमें स्थित इसके प्रतिलोमात्मक प्रणव मन्त्रका उद्भव कहता हूँ , आप सावधानीपूर्वक सुनें | हंस – इस मन्त्रका प्रतिलोम करनेपर ‘ सोऽहम् ‘ ( पद सिद्ध होता है । ) इसके सकार एवं हकार – इन दो वर्णोंका लोप कर देनेपर स्थूल ओंकारमात्र शेष …

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