खेचरी मुद्रा

मुद्रैषा खेचरी प्रोक्ता भक्तानां अनुरोधतः । सिद्धिनां जननी ह्येषा मम प्राणाधिके प्रिये । निरन्तर कृताभ्यासम् पीयूषम् प्रत्यहं पीवेत् । तेन निग्रहम् सिद्धिस्यात् मृत्यु मातंग केशरी ।। अर्थात् – (शिव जी ने देवी से कहा) हे प्रिये ! भक्तों के अनुरोध के कारण ही मैंने अपने प्राणों से प्रिय इस खेचरी मुद्रा को प्रकाशित किया जो …

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